हरियाणवी मखौल – किलकी मार दिए
नवम्बर 24, 2006
रलदू नै चोरी करण की कसूती आदत थी। एक दिन वो चोरी करदा पकड़या ग्या। थाणेदार सिपाही से बोल्या – इसकै सौ जूत मार आप्पे सीधा हो जेगा। सिपाही उसती हवालात म्ह जूत मारण खातर लेग्या तो रलदू उसती सौ का नोट दिखाकै बोल्या – किम्मे हो नी सकदा। सिपाही सौ का नोट गोज म्ह घाल कै बोल्या – मैं कांध कै जूत मारूँगा अर तूँ किलकी मारै जाइये। रलदू नै एक सौ का नोट और जेब तै काढ्या अर बोल्या – लै किलकी बी तूँ ए मार दिए मन्नै जाण दे।
नवम्बर 24, 2006 at 10:21 पूर्वाह्न
हा हा हा… बढिया है 🙂
नवम्बर 24, 2006 at 12:03 अपराह्न
हा 😀
नवम्बर 24, 2006 at 12:57 अपराह्न
हा हा हा.
हरयाणवी बन्ने का भी जवाब नहीं.
बहुत अच्छे.
नवम्बर 24, 2006 at 2:41 अपराह्न
मज़ेदार है।
नवम्बर 24, 2006 at 7:42 अपराह्न
चटपटा । बहुत बढ़िया ।
नवम्बर 25, 2006 at 12:38 पूर्वाह्न
मेहरबानी भाईयों, न्यू ए मेरा औंसला बडान्दे रओ अर मैं और भी ‘मखौल’ पोस्ट करदा जऊंगा।
जनवरी 8, 2008 at 3:46 अपराह्न
Bhai, ji sa aa gaya.
दिसम्बर 26, 2009 at 2:20 अपराह्न
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saç ekimi
saç ekimi
सितम्बर 22, 2010 at 10:32 पूर्वाह्न
Jama kamal kar diya bhai
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